رکھ تسلی پھیر ملن دی، کاہنوں کردیں نیرھا نیرھا رکھ تسلی پھیر ملن دی، کاہنوں کردیں نیرھا نیرھا۔
देश की सुरक्षा को लेकर जब उड़ते हैं परिंदे
"मेहनत का ऐसा रंग चढ़ा अपने ऊपर की, लाख मुसीबतो में भी फीका ना हो।"
जिस भी किरदार में तू कठपुतली बने, उस रंगमंच की शान बढ़ जाए, कर तो कुछ ऐसा कर!
इंतजार के पल कभी-कभी दिल को भारी कर देते हैं। ये इमोशनल शायरी उस दर्द और तड़प को बयां करती है, जो अपने प्रिय के इंतजार में दिल में होती है। इन शायरियों में दिल का दर्द और उम्मीद का मेल झलकता है।
जब सीमा पर उठता है दुश्मनों का शोर-शराबा
ज़िंदगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने का
क्या खूब कहा है किसी ने कि आंख नम थी और गहरे रहे थे, जो वो जख्म मेरे थे और मरहम लगा रहे थे वो।
जा रही है ए ज़िन्दगी तू मुझसे दूर, तुझे मेरी याद नहीं आती क्या, मेरी तरह तेरी आंख नहीं भर आती।
"किसी की अदा को अपने अंदाज में बयां करना ही शायरी है।"
रिश्ते गहरे हैं अपने, इन्हें किसी किनारे की जरूरत नहीं, इनमे डूब जाना ही बेहतर है।
देश की सीमा पर जब खड़े होते हैं वीर फौजी
हमा-ओस्त समूह से ताल्लुक़ रखने वाले सूफियों का कहना है कि चूँकि ख़ुदा ख़ुद फ़रमाता है shayari कि मैं ज़मीन और आस्मानों का नूर हूँ इसलिए हर चीज़ उस नूर का एक हिस्सा है।
नाराज़गी दूर नहीं हुई हज़ारों बार मनाने पर,